कैसे यलगार हो...Kaise Yalgaar Ho

होशियार हो जाओ...और तैयार हो जाओ...

सिम सिम खुल जा और खुल गया...

उस देश की फासिस्ट सरकार ने आपको चारों तरफ से घेर कर पटक दिया है।

आप कहीं के नहीं रहे...



आप उस देश में या तो नौकरी करते होंगे या करते रहे होंगे या मज़दूरी करते होंगे या करते रहे होंगे।

नौकरियां जा रही है...या जाने वाली होंगी।...मज़दूरी का काम तब मिलेगा जब कहीं कुछ होगा। 

आप इन चीज़ों के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे तो पुलिस दौड़ाकर पीटेगी...

अगर आपने उस देश के अस्पतालों की हालत पर प्रदर्शन करना चाहा तो भी पीटे जाओगे। गोया आपके प्रदर्शन का हथियार भी छिन चुका है। 

हरामखोरी के प्रतीक मिडिल क्लास के लिए फिर से हिन्दू मुसलमान का नैरेटिव तैयार है। वह इसी में उलझ जाएगा। बहुत होगा तो आपके लिए कैंडल लाइट लेकर खड़ा होगा।


इसी मिडिल क्लास के बच्चों को फर्जी राष्ट्रवाद पढ़ा दिया गया है। (Nation First) देश पहले है - के बाद जिनकी चेतना औसत दर्जे से भी घटिया यूट्यूबर कैरी मिनाती  (CarryMinati) के “यलगार” (Yalgaar) जैसी धुनों पर ही जागती है। उसे कामगारों, मज़दूरों की भूख, उनकी तड़प, बीमारी से मतलब नहीं है। उसे अस्पतालों की बदहाली से सरोकार नहीं है। 

गिरती अर्थव्यवस्था में सुधार के लक्षण अगले तीन-चार साल तक नहीं हैं। आप ज्यादा से ज्यादा क्या कर लेंगे। पकौड़ा तलने से लेकर भीख माँगने को रोज़गार बताने वाला ज्ञान आपको मिल ही चुका है।

आप चक्रव्यूह में फँस गए हैं। लेकिन आप न खुद अभिमन्यु हैं और न कोई अभिमन्यु आपकी मदद को आएगा।

आपको हैरी पॉटर और चंद्रकांता संतति के काल्पनिक पात्रों की तरह कोई ग़ैबी मदद भी नहीं मिलने वाली। ...अरे कोई जेम्स बॉन्ड तक नहीं है आपके पास। 

आप जिसे महामानव समझते हैं वो एक रंगा हुआ सियार है। उसने और उसके गुर्गों ने आपको बीच मँझधार छोड़ दिया है। तैरने की कला आने के बावजूद आप हाँफ जाएँगे और दम तोड़ देंगे।

दलाल मीडिया और उस (?) भ्रष्ट हो चुके स्तंभ से भी कोई उम्मीद मत रखना। उस दुकान का तराज़ू उस भ्रष्ट व्यवस्था की तरफ झुक चुका है जिधर से तुम्हें रोशनी की उम्मीद थी।

बच सकते हो तो बच लो। मेरे पास कोई उपाय नहीं जो बता सकूँ। 




टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

हिन्दू धर्म और कैलासा

युद्ध में कविः जब मार्कर ही हथियार बन जाए

आत्ममुग्ध भारतीय खिलाड़ी