छह मुल्ले मोदी के साथ क्यों....
ये मैं नहीं फेसबुक पर लोग कह रहे हैं
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नोटः .ये लेख नवभारत टाइम्स की अॉनलाइन साइट पर भी उपलब्ध है। वहां पाठकों की भारी प्रतिक्रिया आ रही है। उन प्रतिक्रियाओं को पढ़ने और सारे मुद्दे को समझने के लिए आप भी वहां जाकर टिप्पणियों को पढ़ सकते हैं। इस लिंक पर जाएं - http://blogs.navbharattimes.indiatimes.com/yusufkirmani/entry/bjp-trying-to-woo-muslims
अख्तर खान
अकेला
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चुनाव का मौसम
है...फेसबुक का साथ है...वल्लाह क्या बात है। कायदे से इस तरह से मेरे लेख की
शुरुआत नहीं होनी चाहिए थी लेकिन अब हो गई तो आइए बात करते हैं। हुआ यह कि अभी
नरेंद्र मोदी का एक फोटो कुछ मौलाना लोगों के साथ अखबारों और फेसबुक पर प्रकट हुआ।
....आफत हो गई। मौलाना लोगों को यह गलतफहमी है कि वे अगर हां कहेंगे तो इस देश के
मुसलमान हां कहेंगे औऱ नहीं कहेंगे तो नहीं...पर उनकी इस गलतफहमी को भारत के
मुसलमान बार-बार दूर कर रहे हैं लेकिन भाई लोग फिर भी न मानने को तैयार हैं और न
ही सबक लेने को।
यह एक आम
फोटो है जिसके जरिए संदेश देने की कोशिश की गई है कि अब तो मौलानाओं का भी समर्थन
मोदी को मिल गया है। जो लोग इस जवाब की तलाश में है कि इस बार मोदी क्यों नहीं
अपने भाषण में दंगों का, मुसलमानों का जिक्र नहीं कर रहे हैं तो उन्हें जवाब मिल
गया होगा।
अब ये
फोटो जैसे ही फेसबुक पर शेयर होने लगी तो आम मुसलमान हाथ धोकर पीछे पड़ गया। मुझे
लगा कि इस फोटो पर उन लोगों के विचार आप लोगों के सामने आने चाहिए जो इस चुनाव में
किसी गलतफहमी का शिकार हैं....तो अपनी बात यहीं पर खत्म...अब नीचे पढ़ें उस फोटो
पर आम लोगों की प्रतिक्रिया....
अख्तर खान
अकेला
कल मुझ से किसी ने कहा के कुछ लोग दाडी तो रख लेते है लेकिन
खतना इनकी ठीक तरह से नहीं होती ,, पता नहीं सच क्या है ,,,,
सातों मुल्ले एक साथ.....कौन कहता है
कौम और मुल्लों में मिल्लत नहीं है....??
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