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ग़ज़लः हर मसजिद के नीचे तहख़ाना...

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  हर मसजिद के नीचे तहख़ाना ........................................... -यूसुफ किरमानी हर मसजिद के नीचे खोदो, मिल जाएगा तहख़ाना मालूम है, नफ़रत के ढेर पर है तुम्हारा तोपख़ाना। रोज़ाना आता है वो, नया हंगामा ओ दहशत लेकर मुल्क के एंकर बनाते हैं, स्टूडियो में नया बुतखाना।  सियासत का हर दांव मुल्क की मिल्लत पर भारी है नहीं आती कोई आवाज़, ख़ामोश है नक्कारखाना। ये ज़हरीली फिज़ा महज़ मौसमी नहीं है जनाबे आला अहले सियासत ही चला रहे हैं, हर घर में कारख़ाना।  मत करो इंसाफ की ढोंगी बातें, उसकी बातों का क्या मालूम है कहाँ से चलता है सरमायेदार का छापाखाना। टीवी चैनल कर नहीं सकते अपने मुल्क की सच बातें बताते हैं पाकिस्तान को शरीफ़ों ने बनाया कबाड़ख़ाना। यूसुफ ए किरमानी हिला दो राजा का सिंहासन जनता भूखी है, जला दो अब उसका नेमतखाना। - यूसुफ किरमानी  copyright2024@YusufKirmani

तैना शाह आ रहा है...

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 तैना शाह आ रहा है .............................. जनता, बजाओ ताली की तैना शाह आ रहा है हाँ, ख़ाली है थाली, पर धर्म तो जगमगा रहा है बिछाओ मसनद, सजाओ राजमुकुट उसका धर्म की आग में झुलसेगा अब हर तिनका तुम्हें समन्दर क्यों चाहिए, जब दरिया छोड़ दिया है प्यासे न मरोगे, उसने चुल्लू भर पानी छोड़ा दिया है ख़ूब चाटो बाबा की किताब, जनतंत्र मर चुका जब हिटलर ही धर्मतंत्र का ऐलान कर चुका हमने दरिया में लाशें देखीं और तैना शाह के तराने देखे खबरें बनाती रहीं तमाशा हमारा, एंकर ऐसे सयाने देखे कहीं से अब कोई सदा नहीं आती यूसुफ ए किरमानी ज़रा ज़ोर से बजाओ बिगुल, सुनाओ कोई नई कहानी @YusufKirmani January 22, 2024

भारत में निष्पक्ष चुनाव नामुमकिनः व्यक्तिवादी तानाशाही में बदलता देश

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  Fair elections are impossible in India: The country is turning into an individualistic dictatorship an article by Yusuf Kirmani, published in Samyantar Janauary 2024 issue. भारत में निष्पक्ष चुनाव और व्यक्तिवादी तानाशाही पर यूसुफ किरमानी का यह लेख समयांतर जनवरी 2024 में प्रकाशित हुआ था। इसे अब मुफ्त कंटेंट के तौर पर हिन्दीवाणी के पाठकों के लिए प्रकाशित किया जा रहा है। भारत में निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव के लिए एकमात्र संस्था केंद्रीय चुनाव आयोग है।  12  दिसंबर को राज्यसभा में और 21 दिसंबर 2023 को लोकसभा के शीतकालीन अधिवेशन में मोदी सरकार एक विधेयक लाई और उसके जरिए केंद्रीय चुनाव आयोग में केंद्रीय चुनाव आयुक्त (सीईसी) और आयुक्तों के चयन का अधिकार प्रधानमंत्री ,  सरकार का कोई मंत्री और नेता विपक्ष को मिल गया। इतना ही नहीं चुनाव आयुक्तों का दर्जा और वेतन सुप्रीम कोर्ट के जजों के बराबर कर दिया गया।  नियमों में एक और महत्वपूर्ण बदलाव यह भी हुआ कि अगर कोई मुख्य चुनाव आयुक्त या आयुक्त अपने कार्यकाल में जो भी फैसले लेगा ,  उसके खिलाफ न तो कोई एफआईआर दर्ज होगी और न ही उसे किसी अदालत द्वारा उस

मोदी जी खिलाएं गाय को चारा, कहां गया वो माखन चोर प्यारा

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 - यूसुफ किरमानी कितनी खूबसूरत तस्वीर है...गौर से देखिए... लेकिन ये फोटो कुछ लोगों को हज़म नहीं हो रही है। क्या देश का प्रधानमंत्री गाय को चारा नहीं खिला सकता। हम लोग जब कोई फोटो कहीं लगाने के लिए सेव करते हैं तो उसे एक नाम देते हैं। लेकिन जब मैंने इसे सेव करते हुए नाम दिया तो खुशी से उछल पड़ा। मैंने इसका नाम दिया था- मोदी काऊ यानी मोदी गाय। है न शानदार नाम। कोई ताज्जुब नहीं कि राज्यों में पशुपालन विभाग अब मोदी गाय को हाइब्रिड बनाकर इसका उत्पादन शुरू न कर दे। अभी मैंने मोदी काऊ का पेटेंट नहीं कराया है। अगर कोई इस नाम यानी मोदी काऊ या मोदी गाय का इस्तेमाल करे तो कृपया इस खाकसार को श्रेय देना न भूलें। श्रेय देने से प्यार बढ़ता है। थोड़ा विषयांतर करते हैं। देश में एक बीमारी चल रही है मोदी जी को बुरा बोलते रहो। लेकिन ये सब गलत है। कोई मोदी जी का कुछ उखाड़ नहीं पाएगा। 2024 का चुनाव होने दीजिए और मोदी जी को आने दीजिए। ये सारे के सारे बिलों में छिप जाएंगे। क्योंकि देश 2024 के बाद बदल जाएगा। अभी जो मेरी चिन्ता का विषय है वो है अयोध्या में राम मंदिर का मूल जगह पर नहीं बनना। ये बात भाजपा के ही

बेरोज़गार युवक 22 जनवरी को फ़ैज़ाबाद क्यों जा रहे हैं

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पेटीएम (Paytm)  ने 1,000 कर्मचारी निकाले... निकाले गए बेरोज़गार कर्मचारियों ने कहा- हम 22 जनवरी 2024 को फ़ैज़ाबाद (#Faizabad) प्रधानसेवक जी से मिलने जा रहे हैं। नौकरी मिलेगी कैसे नहीं? गूगल, फ़ेसबुक (मेटा), ऐप्पल, ऐमजॉन, नेटफिलिक्स ने भारत में भर्ती पर रोक लगाई। #Google, #Meta, #Apple, #Netflix pause hiring in India. कर्मचारियों ने कहा- हम 18 घंटे अपने प्रधान सेवक की तरह काम करने को तैयार। कंपनियों ने कहा- प्रधान सेवक के कहने पर ही अब नौकरियाँ (#Jobs) मिलेंगी।  इसी विवाद के बीच इस बात की जाँच हो रही है कि आख़िर बेरोज़गारी (#Unemployment) के ख़िलाफ़ माननीयों के दफ्तर में  प्रदर्शन करने वाले सागर शर्मा, ललित झा, अमोल शिंदे, नीलम आज़ाद, मनोरंजन आदि आरोपियों के दिमाग़ में  यह आइडिया कैसे आया? हालाँकि इन बेरोज़गार युवकों के घर से शहीद भगत सिंह की किताबें मिली थीं। लेकिन प्रधानसेवक के भाषण का संबंध भगत सिंह की किताबों से जोड़कर देखने की ज़रूरत महसूस हो रही है। यह ज्ञात नहीं हो सका है कि आरोपी प्रधानसेवक के 15 लाख वाले जुमले से मोहभंग होने के बाद आरोपी क्या बेरोज़गारी से तंग थे या विश्व बैंक

युद्ध में कविः जब मार्कर ही हथियार बन जाए

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 दुनिया में अलग-अलग तरह के युद्ध या संघर्ष हो रहे हैं। गाजा से लेकर भारत तक परिस्थितियां बस अलग-अलग हैं। अगर कहीं संवैधानिक संस्थाएं नष्ट हो रही हैं तो उन्हें बचाने का संघर्ष अलग होगा। लेकिन फिलहाल गाजा के संघर्ष पर बात हो रही है। अभी तक वहां 18,200 फिलिस्तीनी नागरिक मारे गए हैं, जिनमें आठ हजार से ज्यादा तो बच्चे और महिलाएं हैं। यहां तक कि वहां कवि, लेखक, पत्रकार चुन-चुन कर मारे जा रहे हैं। यूसुफ किरमानी का यह लेख एक ऐसे ही कवि पर केंद्रित है। जिसके बारे में दुनिया को जानना जरूरी है। - यूसुफ किरमानी इजराइल-हमास युद्ध ( Israel-Hamas War) में गाजा का हाल आप पढ़ रहे होंगे। क्या आपकी नजर से रिफत अलारेर  (Refaat Alareer) नाम गुज़रा है ? रिफत अलारेर   लोकप्रिय   फिलिस्तीनी कवि थे जो इजराइल-हमास युद्ध में गाजा में गुरुवार 6 दिसंबर 2023 को मारे गए। मैं यह लेख आपके लिए उस घटना के कई दिनों बाद लिख पा रहा हूं। गाजा में अब हर दिन मौतें हो रही हैं और शेष दुनिया के लिए वो सामान्य मौतें हो गई हैं। दुनिया के शेष हिस्से के लिए जैसे गाजा की मौतों का कोई अर्थ ही न हो।   रिफत के एक शब्द की वजह से