बात ज़रा सिक्का उछाल कर...

मुग़ल काल के दौरान अकबर ने भारत में 50 साल तक शासन किया। उसने उस समय चाँदी के जो सिक्के जारी किए उन पर राम सीता की तस्वीर है। (फोटो नीचे देखें) ...

इतिहास टटोल डालिए उस वक़्त किसी मौलवी या मुफ़्ती ने अकबर के खिलाफ फ़तवा जारी नहीं किया। 

अकबर से पहले बाबर और हुमायूँ ने जो सिक्के जारी किए थे, उन पर इस्लाम के चार ख़लीफ़ाओं के नाम होते थे। 

ज़ाहिर है कि अल्पसंख्यक अकबर ने बहुसंख्यक लोगों की भावनाओं की क़द्र करते हुए राम सीता वाले सिक्के जारी किए होंगे।  



सत्ता मिलने पर किसी शासक को जैसा बौराया हुआ अब देख रहे हैं वैसा कभी नहीं हुआ। 

औरंगज़ेब काल में ज़ुल्म किए जाने की बात जहाँ तहाँ लिखी गई है लेकिन इतिहासकारों ने उसके द्वारा मंदिर बनवाने और मंदिरों को चंदा देने की बात भी दर्ज की गई है।  

लेकिन जो अब हो रहा है, वैसा कभी नहीं हुआ। सांप्रदायिक सल्तनत में बदलते इस देश में अलग विचार रखना, बोलना, लिखना गुनाह होता जा रहा है। 

फ़िल्म डायरेक्टर अनुराग कश्यप, अदाकारा अपर्णा सेन, इतिहासकार रामचंद्र गुहा समेत कई जानी मानी हस्तियों ने कल प्रधानमंत्री को बढ़ती मॉब लिंचिंग, ज़बरन सांप्रदायिक नारे लगवाने के बारे में एक पत्र लिखा जिसमें उनसे इन मसलों पर क़दम उठाने का आग्रह किया गया था। 

दलाल पत्रकार (अरबन) गोस्वामी समेत तमाम टीवी चैनलों के तनबदन में आग लग गई। उन्होंने उन जानी मानी हस्तियों को असहिष्णुता गैंग नाम दिया। गोस्वामी टीवी पर चीख़ने चिल्लाने की सीमा को भी पार कर गया। दो हज़ार रूपये के नोट में चिप लगाने वाले पत्रकार तो ऐसे बौखलाए कि वो इडियट बॉक्स (टीवी) से निकलकर असहमत लोगों को अभी पीटने लगेंगे। 

तमिलनाडु में एक शख़्स ने किसी वाट्सऐप ग्रुप में मोदी सरकार में बढ़ती सांप्रदायिकता के खिलाफ कुछ टिप्पणी कर दी। पुलिस ने उसे गिरफ़्तार कर लिया गया।...लेकिन दूसरी तरफ़ सांप्रदायिक हत्यारों, नफ़रत फैलाने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं। है। ...और अब तो सरकार कानून बनाने जा रही है। लोकसभा से पास हो चुका है। राज्यसभा की मंज़ूरी के बाद राष्ट्रपति की मंज़ूरी और उसके बाद किसी भी सरकार विरोधी विचारों के लिए जेल जाने को तैयार रहिए...

पिछले शनिवार की फ़ेसबुक पोस्ट में मैंने उस सांप्रदायिक विडियो गाने का ज़िक्र किया था। जिसमें धर्म विशेष का नारा नहीं लगाने वालों को क़ब्रिस्तान भेजने की बात कही गई थी। उस गाने में खुलकर हिंसा की बात कही गई है। लेकिन दिल्ली पुलिस ने अभी तक गाने वालों पर, उस कंपनी पर और यूट्यूब के खिलाफ कोई केस दर्ज नहीं किया। 

आपको अगर किसी धर्म और समुदाय  से नफ़रत का अधिकार है तो तमाम लोगों को उससे असहमत होने का अधिकार देना ही पड़ेगा।


बहरहाल, सरकार के विरोध में हॉगकॉग में चल रहे सफल नागरिक प्रदर्शनों के लिए वहाँ की जनता को बधाई। ...जब जागो तभी सवेरा...

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