गोडसे को गाली दे चुके हों तो मैं कुछ अर्ज करूं



अगर आप लोग भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर का आतंकवादी नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताने पर रो-धो चुके हैं, उसे सोशल मीडिया पर खूब गाली दे चुके हों तो मैं कुछ अर्ज करूं।

ऐसा पहली बार नहीं हुआ कि इस महिला ने गोडसे को देशभक्त बताया हो। उसे जब-जब भाजपा और चालाक जातियों वाले सांस्कृतिक गिरोह का इशारा होता है वह गोडसे को देशभक्त बता देती है।...

यह सब जानबूझकर किया जा रहा है। आप लोगों को शिकारी अपनी जाल में फंसा रहा है। महाराष्ट्र का राजनीतिक युद्ध हारते ही गोडसे को विवाद के केंद्र में लाया जा रहा है ताकि उसके माफी गुरु को इस बार गणतंत्र दिवस पर जब भारत रत्न देने की घोषणा हो तो मराठियों का सीना गर्व से फूल उठे। महाराष्ट्र में दो या ज्यादा से ज्यादा तीन साल में विधानसभा चुनाव होना तय है। अगर मराठियों के वोट की कीमत माफी गुरु को भारत रत्न और गोडसे को देशभक्त की उपाधि है तो भगवा गिरोह के हिसाब से सौदा उतना बुरा नहीं है।

आप देखेंगे कि संसद में जब उस शाप देने वाली महिला ने गोडसे को देशभक्त बताया तो इसे पहले टीवी चैनलों पर चलवा दिया गया, सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और कई घंटे बाद लोकसभा अध्यक्ष ने इसे सदन की कार्यवाही से निकालने का आदेश दिया। लेकिन तब तक सत्ताधारी दल और उसके चालाक जातियों वाले सांस्कृतिक गिरोह का मकसद पूरा हो चुका था। पूरे देश में गोडसे और उसके माफी गुरु पर चर्चा शुरू हो चुकी है।

याद रखिए...26 जनवरी 2020 तक गुरु-चेले की चर्चा रहेगी और माफी गुरु को भारत रत्न की घोषणा के बाद ही इस चर्चा पर विराम लगेगा। यह सब प्रज्ञा ठाकुर की आड़ लेकर सुनियोजित तरीके से किया जा रहा है। वरना जिस देश का प्रधानमंत्री यह कहे कि गांधी के हत्यारे का महिमामंडन करने वाली को वह दिल से माफ नहीं कर पाएंगे और जिस सत्ताधारी पार्टी का अध्यक्ष यह कहे कि अगले हफ्ते तक उस पर कार्रवाई हो जाएगी, उसके बावजूद आतंक के आरोपों का सामना कर रही महिला फिर से गोडसे को देशभक्त बताने की जुर्रत कर डालती है, उस प्रधानमंत्री और पार्टी अध्यक्ष का आत्मग्लानि से मुंह तक नहीं खुलता है। आप ऐसों से किस जिम्मेदारी की उम्मीद करते हैं।

यह ठीक है कि आप गांधी के विचारों से सहमत नहीं हैं। यह भी ठीक है कि आप गांधी को देश के बंटवारे का जिम्मेदार मानते हैं। यह भी ठीक है कि जिस चालाक जातियों वाले सांस्कृतिक गिरोह ने अंग्रेजों के लिए मुखबिरी की, गांधी ने उन अंग्रेजों को मार भगाया, इसलिए आपकी नाराजगी भी जायज है। लेकिन अब तो आपकी विचारधारा की सरकार है। क्यों नहीं संसद में एक प्रस्ताव पारित कर सबसे पहले गांधी को राष्ट्रपिता की पदवी से मुक्त कर देते, फिर संसद और राष्ट्रपति भवन से गांधी की तस्वीरें हटवा देते, फिर रिजर्व बैंक को आदेश कर सभी करंसी नोट और सिक्कों से गांधी की मुहर हटवा देते यानी जहां-जहां गांधी है, उसे मिटा दो, हटा दो, जला दो। बहुमत है भाई...कर सकते हो। कर डालो गांधी की निशानियां मिटा डालो।

जिन्हें गांधी चाहिए वे साउथ अफ्रीका, अमेरिका, फ्रांस, इंग्लैंड, जर्मनी, चीन, जापान, पाकिस्तान, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, रूस में स्थापित गांधी मूर्तियों से काम चला लेंगे। भारत में गांधी न सही तो न सही।

दरअसल, भगवा और चालाक जातियों के सांस्कृतिक गिरोह को गांधी के विचारों से इसलिए चिढ़ है कि जब तक गांधी के विचार जिंदा हैं, तब तक यह गिरोह भारत में पूरी तरह फल फूल नहीं पाएगा। क्योंकि जब गांधी का जिक्र होगा तो उनके स्वतंत्रता आंदोलन का विरोध करने वालों और अंग्रेजों के लिए मुखबिरी करने वालों का नाम आएगा। गांधी के हत्यारे और आजाद भारत के पहले आतंकवादी का भी नाम आएगा। चालाक जातियों के सांस्कृतिक गिरोह को तकलीफ इसी बात से है। अगर ये लोग भाड़े के लेखकों से स्वतंत्रता आंदोलन का इतिहास फिर से भी लिखवा लेंगे तो भी सोशल मीडिया के जमाने में अंग्रेजों के लिए की गई मुखबिरी और गांधी की हत्या का दाग कैसे धोया जा सकेगा।

शिवसेना ने महाराष्ट्र में अपनी जड़ें छत्रपति शिवाजी का नाम लेकर जमाईं। भाजपा और चालाक जातियों का सांस्कृतिक गिरोह यह काम माफी गुरु और आतंकवादी नाथूराम गोडसे की आड़ में महाराष्ट्र में अपनी पैठ बनाने के लिए करना चाहता है। मराठियों को अब खुलकर बताना होगा कि वो दरअसल गांधी के हत्यारों को कितना सम्मान देने को तैयार हैं।

जो पार्टी हर अवसर का इस्तेमाल वोट के लिए करे, खुद को राजनीतिक रूप से मजबूत करने के लिए करे, उस देश में गांधी की हत्या को सही ठहराने वालों का गिरोह कुछ भी कर सकता है। इसलिए सावधान रहने की जरूरत है कि कब गांधी आपकी जिंदगी में खलनायक के रूप में पेश कर दिए जाएं और आपको पता भी नहीं चले। ताज्जुब है कि गांधी के देश में गांधी के विचारों को मानने वाली पार्टियों, संगठनों, समाजसेवियों से यह तक नहीं हो सका कि गोडसे को देशभक्त बताने वाली के खिलाफ एक-एक एफआईआर हर शहर में विरोधस्वरूप दर्ज करा देते। इसलिए गांधी पर रुदाली बंद करके पहले इन मोहतरमा का न्यायपालिका के जरिए बिस्तर बांधने का इंतजाम करिए।
विशेष नोट ः गांधी और गोडसे सीरिज में इस लेख के जरिए कुछ नए मुहावरे या सांकेतिक शब्द दिए जा रहे हैं, वह हैं -  चालाक जातियों का सांस्कृतिक गिरोह...माफी गुरु। कृपया इन दोनों सांकेतिक शब्दों का इन दोनों संदर्भों में ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल कर इसे लोकप्रिय बनाएं।

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टिप्पणियाँ

Hindi World Info ने कहा…
स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसके साथ रहूंगा - यह वाक्य आज का नहीं है, लेकिन इसे पढ़ने और सुनने के बाद हर बार बाल गंगाधर तिलक को याद किया जाता है जिन्होंने यह वाक्य कहा था। ऐसा उत्साह और जोश भरने वाले बाल गंगाधर तिलक का आज जन्मदिन है। बाल गंगाधर तिलक को लोकमान्य तिलक के नाम से भी जाना जाता है। उन्हें लोकमान्य की उपाधि भी दी गई थी। लोकमान्य का अर्थ है जनता द्वारा स्वीकृत नेता। लोकमान्य के अलावा उन्हें हिंदू राष्ट्रवाद का जनक भी कहा जाता है।

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