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रहस्यः भगवा आतंकवाद को हिंदू धर्म से कौन जोड़ रहा है

केंद्र में बीजेपी की सरकार बने हुए अब दो साल से ज्यादा हो चुके हैं। पहले दो साल तक तमाम चिंतक, स्तंभकार और लेखक इस बात पर जोर देते रहे कि इतना बहुमत मिला है तो केंद्र सरकार जरूर कुछ करेगी। हमारे जैसे लोग जो किसी भी सरकार को आलोचनात्मक नजरिए से ही देखने की कोशिश करते हैं, इस उम्मीद में रहे कि हो सकता है कि बीजेपी सरकार के तरकश में कोई तीर हो और वो भारत की तमाम बीमारियों का इलाज करने में जुट जाए। लेकिन ऐसा कुछ होता दिखाई नहीं दे रहा और सब्र का पैमाना अब छलकने को है। यह बात धीरे-धीरे साफ होती जा रही है कि बीजेपी सरकार को ऐसे लोगों का समूह संचालित कर रहा है, जिनके इरादे कुछ और हैं। इस समूह ने संघ परिवार तक को प्रभावित कर रखा है। इस समूह ने जो एजेंडा सरकार बनने के वक्त तय किया था, केंद्र सरकार उसी एजेंडे पर पहले दिन से ही चल रही है। यह समूह अपने एजेंडे को लागू कराने की इतनी जल्दी में है कि उसे लगता है कि अगला मौका नहीं मिलेगा। बात की शुरुआत ताजा घटनाक्रम से करते हैं। मालेगांव ब्लास्ट में आरोपी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, कर्नल पुरोहित समेत तमाम लोगों को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने क्ली

राष्ट्रभक्ति क्या है...क्या सारा ठेका सिर्फ सिर्फ एक पार्टी के पास है ?

देशभक्ति के नाम पर देश में अराजकता का माहौल बनाया जा रहा है...जेएनयू जल रहा है...वहां के स्टूडेंट्स को देशद्रोही बताया जा रहा है...यहां तक कि कुछ पत्रकारों ने इस प्रचार युद्ध को संभाल लिया है कि जो देश की सत्तारुढ़ पार्टी के खिलाफ है, वह देशद्रोही है। प्रेस कॉन्फ्रेंस शुरू होने से पहले बीजेपी के नेता पूछते हैं कि आप भारत माता के साथ हो या जेएनयू वालों के साथ...कितनी शर्मनाक स्थिति है। दरअसल राष्ट्रभक्ति क्या है...इस पर मैं कई दिनों से विचार कर रहा था। बार-बार दिमाग में कन्हैया कुमार का चेहरा घूमता रहा, जिसे देशद्रोह के नाम पर जेल में बंद कर दिया गया। देश के बहुत बड़े कानूनविद और पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी जो अटल बिहारी वाजपेयी के समय एजी थे, उन्होंने आज कहा कि जिस देशद्रोह के आरोप कन्हैया कुमार को बंद कर दिया है, वह कोई आरोप नहीं है। सोराबजी अपने स्पष्ट विचारों के लिए उस वक्त भी जाना जाता था। उनका बयान आप आज के इंडियन एक्सप्रेस में पढ़ सकते हैं। इसके बाद मुझे सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार की फेसबुक वॉल पर जाने का मौका मिला तो वहां उन्होंने एक कहानी के जरिए राष्ट्रभक्ति के

कहीं पछताना न पड़े

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वैलंटाइंस डे पर जिस बेहूदगी और मॉरल पुलिसिंग को इस देश ने अपनी आंखों से देखा, सुना और पढ़ा, वह सचमुच शर्मनाक है। चंद लोगों ने भारतीय संस्कृति की रक्षा के नाम पर जो घटिया अभियान चलाया, यह देखकर अफसोस होता है कि वे और हम सभी आजाद भारत के नागरिक हैं। आमतौर पर संस्कृति के स्वयंभू ठेकेदार अब तक सिर्फ उत्तरी भारत में ही वैलंटाइंस डे का विरोध और शौर्य दिवस मनाया करते थे लेकिन इस बार शुरुआत दक्षिण भारत से हुई और वहां भी मुट्ठी भर लोग लड़के- लड़कियों से बदतमीजी करते नजर आए। उज्जैन शहर में जो कुछ भी हुआ वह तो तमाम संघियों के लिए डूब मरने की बात है। आप लोगों में से लगभग सारे लोगों ने वह खबर पढ़ी होगी कि स्कूटर पर जा रहे भाई- बहन को बजरंगी सेना के गुंडों ने रोक लिया और उनके साथ दुर्व्यवहार किया। उनका स्कूटर क्षतिग्रस्त कर दिया। यह वही शहर है, जहां एक प्रोफेसर को सरेआम एक राजनीतिक दल के छात्र संगठन के नेताओं ने गला दबाकर मार डाला। ये लोग प्रोफेसर को ज्ञापन देने गए थे। यह छात्र संगठन अपने आप को सबसे अनुशासित संगठन बताता है लेकिन उसके नेताओं की करनी अभी उज्जैन शहर भूला नहीं है। उसी शहर में भाई-बहन के

Ek ziddi dhun: सड़ांध मार रहे हैं तालाब

मेरे ही साथी भाई, धीरेश सैनी ने अपने ब्लॉग पर एक गांधीवादी अनुपम मिश्र के सेक्युलरिज्म का भंडाफोड़ किया है। उस पर काफी तीखी प्रतिक्रियाएं भी उन्हें मिली हैं। क्यों न आप लोग भी उस लेख को पढ़ें। ब्लॉग का लिंक मैं यहां दे रहा हूं। Ek ziddi dhun: सड़ांध मार रहे हैं तालाब

तुझको मिर्ची लगी तो मैं क्या करूं

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वैसे तो नीचे वाला लेख मैंने यह सोचकर लिखा था कि इसकी भावनाओं को आप लोग अच्छी तरह समंझेंगे। पर कुछ साथी कमेंट देने के दौरान भटक गए या उन्हें बात समझ में नहीं आई। इस लेख पर आए सभी कमेंट में से दो लोगों के कमेंट पर मैं भी कुछ कहना चाहता हूं। हालांकि इन दोनों लोगों ने अपनी असल पहचान छिपा रखी है और कोई इनका असली नाम नहीं जानता। एक साहब कॉमन मैन बनकर और एक साहब ने नटखट बच्चा के नाम से यहां कमेंट करके गए हैं। इनका कहना है कि मुसलमान लोग सिमी की निंदा नहीं कर रहे हैं। यह अत्यंत ही सफेद झूठ है। तमाम मुस्लिम नेताओं ने और आम मुसलमानों ने ऐसे तमाम संगठनों की निंदा की है जो आतंकवाद के पोषक हैं। दिल्ली से लेकर मुंबई में प्रदर्शन हुए हैं। शायद इन दोनों भाइयों ने भी वो खबरें चैनलों और अखबारों में फोटो देखेंगे जिसमें आम मुसलमान अपने दो खास ट्रेडमार्क दाढ़ी और टोपी के साथ नजर आ रहा है। आतंकवाद किसी भी रूप में और किसी भी धर्म का निंदनीय है। सिमी के घटनाक्रम पर अगर इन दोनों महानुभावों ने नजर डाली होगी। बैन तो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) पर भी लग चुका है लेकिन कोई आज तक साबित नहीं कर पाया कि यह संगठन