आरती तिवारी की चार कविताएं
आरती तिवारी मध्य प्रदेश के मंदसौर से हैं। हिंदीवाणी पर उनकी कविताएं पहली बार पेश की जा रही हैं। आरती किसी परिचय की मोहताज नहीं है। तमाम जानी-मानी पत्र-पत्रिकाओं में उनकी असंख्य रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं। प्रगतिशील लेखक संघ से भी वह जुड़ी हुई हैं।...हालांकि ये कविताएं हिंदीवाणी ब्लॉग के तेवर के थोड़ा सा विपरीत हैं...लेकिन उम्मीद है कि पाठकों को यह बदलाव पसंद आएगा... तेरे-मेरे वो पल प्रेम के वे पल जिन्हें लाइब्रेरी की सीढ़ियों पे बैठ हमने बो दिए थे बंद आंखों की नम ज़मीन पर उनका प्रस्फुटन महसूस होता रहा कॉलेज छोड़ने तक संघर्ष की आपाधापी में फिर जाने कैसे विस्मृत हो गए रेशमी लिफाफों में तह किये वादे जिन्हें न बनाये रखने की तुम नही थीं दोषी प्रिये मैं ही कहां दे पाया भावनाओं की थपकी तुम्हारी उजली सुआपंखी आकांक्षाओं को जो गुम हो गया कैरियर के आकाश में लापता विमान सा तुम्हारी प्रतीक्षा की आँख क्यों न बदलती आखिर प्रतियोगी परीक्षाओं में तुम्हें तो जीतना ही था! हां, तुम डिज़र्व जो करती थीं ! हम मिले क्षितिज पे अपना अपना आकाश हमने सहेज