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महिलाओं पर अत्याचार को बतातीं 4 कविताएं

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ये हैं परितोष कुमार  'पीयूष' जो बिहार में जिला मुंगेर के जमालपुर निवासी है। हिंदीवाणी पर पहली बार पेश उनकी कविताएं नारीवाद से ओतप्रोत हैं। ...लेकिन उनका नारीवाद किसी रोमांस या महिला के नख-शिख का वर्णन नहीं है।...बल्कि समाज में महिलाओं पर होने वाले अत्याचार पर उनकी पैनी नजर है। गांव के पंचायत से लेकर शहरों में महिला अपराध की कहानियां या समाचार उनकी कविता की संवेदना का हिस्सा बन जाते हैं।...उनकी चार कविताओं में ...आखिर मैं पीएचडी नहीं कर पायी...मुझे बेहद पसंद है। बीएससी (फिजिक्स) तक पढ़े परितोष की रचनाएं तमाम साहित्य पत्र-पत्रिकाओं में, काव्य संकलनों में प्रकाशित हो चुकी हैं। वह फिलहाल अध्ययन व स्वतंत्र लेखन में जुटे हुए हैं। ठगी जाती हो तुम ! पहले वे परखते हैं तुम्हारे भोलेपन को तौलते हैं तुम्हारी अल्हड़ता नांपते हैं तुम्हारे भीतर संवेदनाओं की गहराई फिर रचते हैं प्रेम का ढोंग फेंकते है पासा साजिश का दिखाते हैं तुम्हें आसमानी सुनहरे सपने जबतक तुम जान पाती हो उनका सच उनकी साजिश वहशी नीयत के बारे में वे तुम्हारी इजाजत से टटोलते हुए तुम्हारे वक्षों की

आरती तिवारी की चार कविताएं

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आरती तिवारी मध्य प्रदेश के मंदसौर से हैं। हिंदीवाणी पर उनकी कविताएं पहली बार पेश की जा रही हैं। आरती किसी परिचय की मोहताज नहीं है। तमाम जानी-मानी पत्र-पत्रिकाओं में उनकी असंख्य रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं। प्रगतिशील लेखक संघ से भी वह जुड़ी हुई हैं।...हालांकि ये कविताएं हिंदीवाणी ब्लॉग के तेवर के थोड़ा सा विपरीत हैं...लेकिन उम्मीद है कि पाठकों को यह बदलाव पसंद आएगा... तेरे-मेरे वो पल प्रेम के वे पल जिन्हें लाइब्रेरी की सीढ़ियों पे बैठ हमने बो दिए थे   बंद आंखों की नम ज़मीन पर उनका प्रस्फुटन   महसूस होता रहा   कॉलेज छोड़ने तक संघर्ष की आपाधापी में   फिर जाने कैसे विस्मृत हो गए   रेशमी लिफाफों में तह किये वादे जिन्हें न बनाये रखने की   तुम नही थीं दोषी प्रिये   मैं ही कहां दे पाया भावनाओं की थपकी   तुम्हारी उजली सुआपंखी आकांक्षाओं को   जो गुम हो गया कैरियर के आकाश में लापता विमान सा तुम्हारी प्रतीक्षा की आँख क्यों न बदलती आखिर   प्रतियोगी परीक्षाओं में   तुम्हें तो जीतना ही था! हां, तुम डिज़र्व जो करती थीं ! हम मिले क्षितिज पे   अपना अपना आकाश   हमने सहेज

मुस्लिम वोट बैंक किसे डराने के लिए खड़ा किया गया ?

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मेरा यह लेख आज (16 मार्च 2017)  नवभारत टाइम्स में प्रकाशित हो चुका है। अखबार में आपको इस लेख का संपादित अंश मिलेगा, लेकिन सिर्फ हिंदीवाणी पाठकों के लिए उस लेख का असंपादित अंश यहां पेश किया जा रहा है...वही लेख नवभारत टाइम्स की अॉनलाइन साइट एनबीटी डॉट इन पर भी उपलब्ध है। कृपया तीनों जगह में से कहीं भी पढ़ें और मुमकिन हो तो अन्य लोगों को भी पढ़ाएं... यूपी विधानसभा चुनाव के नतीजों ने जिस तरह मुस्लिम राजनीति को हाशिए पर खड़ा कर दिया है, उसने कई सवालों को जन्म दिया है। इन सवालों पर गंभीरता से विचार के बाद संबंधित स्टेकहोल्डर्स को तुरंत एक्टिव मोड में आना होगा, अन्यथा अगर इलाज न किया गया तो उसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। इसलिए मुस्लिम राजनीति पर चंद बातें करना जरूरी हो गया है। एक लंबे वक्त से लोकसभा, राज्यसभा और तमाम राज्यों की विधानसभाओं में मुस्लिम प्रतिनिधित्व लगातार गिरता जा रहा है। तमाम राष्ट्रीय और रीजनल पार्टियों में फैले बहुसंख्यक नेतृत्वकर्ताओं ने आजम खान, शाहनवाज खान तो पैदा किए और ओवैसी जैसों को पैदा कराया लेकिन एक साजिश के तहत कानून बनाने वाली संस्थाओं में मुस्लिम प्रतिनिधि

...क्योंकि गुरमेहर कौर के विचारों से तुम डरते हो

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(This article first appeared in Nav Bharat Times online Blog Hindivani) किसी को अगर अभी मुगालता है कि भगवा ब्रिगेड से जुड़े संगठन, केंद्रीय मंत्री, पार्टी नेता देश की राष्ट्रीय अस्मिता बचाने के लिए जेएनयू (JNU) के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) में भी कोई महान काम कर रहे हैं तो उन्हें अपनी गलतफहमी दूर कर लेनी चाहिए। ...लेडी श्रीराम ( LSR ) कॉलेज की छात्रा गुरमेहर कौर (#GurmeharKaur) ने अब खुद को सारे प्रदर्शनों से अलग कर लिया है। उसने कहा है कि वो अपने कैंपेन से पीछे हट रही है और जिसका जो भी मन आए करे। ....आप लोगों के लिए यह एक वाक्य हो सकता है लेकिन इसके पीछे छिपी टीस को अपने क्या महसूस किया। ....गुरमेहर ने भगवा ब्रिगेड (SaffronBrigade) की गुंडागर्दी के खिलाफ आवाज उठाई और चंद ट्वीट किए...सिर्फ इतनी ही बात पर उसे रेप की धमकी दी गई...इतनी ही नहीं देश का जिम्मेदार गृह राज्यमंत्री किरन रिजिजू बयान देता है कि आखिर ऐसे लोगों को सिखाता कौन है यानी गुरमेहर ने कुछ लोगों के सिखाने में आकर गुंडागर्दी के खिलाफ आवाज उठाई। कुछ और मंत्री भी गुरमेहर की निंदा करने से पीछे नहीं रहे...। क्या र

उस दिन जो रामजस कालेज में हुआ...एक स्टूडेंट का पत्र....

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देश के गृह राज्यमंत्री किरन रिजिजू का कहना है कि केंद्र सरकार किसी भी कॉलेज या यूनिवर्सिटी को राष्ट्रविरोधी नारे लगाने वालों का अड्डा नहीं बनने देगी लेकिन यह मंत्री रामजस कॉलेज के उन सैकड़ों स्टूडेंस की आवाज सुनने को राजी नहीं है कि आखिर 22 फरवरी को उनके साथ क्या हुआ था...हिंसा करने वाले कौन थे। दिलीप सॉइमन के ब्लॉग पर मुझे रामजस कॉलेज के ही एक स्टूडेंट का पत्र मिला, जिससे सारी असलियत सामने आई है। मुख्यधारा की मीडिया में जो दिखाया गया और छापा गया, उससे भी ज्यादा बदमाशी उस दिन रामजस कॉलेज में हुई...कैसे पुलिस ने हिंसा करने वालों का साथ दिया कैसे एक गुंडागर्दी को अब देशभक्ति और गलत राष्ट्रवाद से जोड़ा जा रहा है, रामजस की घटना उसका जीता जागता उदाहरण है।...आने वाले दिनों में ऐसी घटनाएं बढ़ने वाली हैं और उसके नतीजे उन लोगों को भी भुगतने होंगे जिन्हें इस तरह के राष्ट्रवाद पर अभी बहुत प्रेम उमड़ रहा है... अगर मिल सके तो 23 फरवरी को अमर उजाला ने पहले पेज पर एक फोटो छापा है जो बताता है कि पुलिस ने किस तरह इस घटना में हरकत की। आपको एक पुलिस वाला एक छात्रा को आपत्तिजनक से ढंग से छूता हुआ दिखाई

ग़ालिब तेरे फरेब में ...ये किस मुकाम तक आ गए

मुझे एक विडियो मिला है। भारतीय राजनीति के मुश्किल दौर में यह विडियो हम लोगों को नया रास्ता दिखाता है। लेकिन ऐसे विडियो से कितनी बात बनेगी, खासकर जब भारतीय #राजनीति के मुश्किल दौर का अंत भयावह नजर आ रहा है। चुनाव तो फिर आएंगे, 11 मार्च के बाद उत्तर प्रदेश की सत्ता कोई न कोई दल या मिलाजुला गठबंधन संभाल ही लेगा लेकिन #हिंदूमुसलमान की जिस खाई को चौड़ा करके इस चुनाव में खाद-पानी दिया जा रहा है। वो एक खतरनाक खेल है। इस खेल के नतीजे अच्छे नहीं आने वाले यह तय है। आइए, पहले ये जानें कि उस विडियो में है क्या... #मुस्लिम #उलेमा मौलाना कल्बे सादिक उस विडियो में बता रहे हैं। ...मैं हज पर जाने के लिए तैयार हूं, पासपोर्ट भी तैयार है। टिकट जेब में है। फिर मैंने एक रोजा भी रख लिया कि अल्लाह का शुक्र अदा करुं कि मुझे हज पर जाना नसीब हो रहा है। इसके बाद मैंने सोचा कि क्यों न #गोमतीनदी (#लखनऊ) के किनारे थोड़ा सा टहल लूं। फिर नमाज का वक्त हो गया। मैंने सोचा गोमती के किनारे पढ़ लूं।...यानि मैं एकसाथ तीन इबादत कर रहा हूं – हज पर जाने की तैयारी, मेरा एक दिन का रोजा और गोमती के किनारे नमाज। ....वो आगे बत

साहेब, मुसलमान तो वोट बैंक ही रहेगा, आप देख लो...

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (#UPElection2017) का दूसरा चरण भी अब पूरा होने को है लेकिन राजनीतिक दलों में असहमति के स्वर अब गाली गलौच औऱ साजिश में बदलते जा रहे हैं। बिहार चुनाव के दौरान जो हथकंडे मुस्लिम वोटों को बरगलाने के लिए अपनाए गए, यूपी में वो सारी सीमाएं लांघ गया है। कोफ्त तो तब होती है जब पढ़े-लिखे पत्रकार भी उन साजिशों की काली कोठरी में शामिल हो गए हैं।  मेरे पत्रकार मित्रों के दायरे में आने वाले कुछ लोगों ने एक दिन पहले मुझे चाय पर निमंत्रित किया और वहां यूपी चुनाव पर चर्चा छेड़ दी। तमाम असहमतियों के बाद उनमें से दो लोग ऐसे थे जिन्होंने कहा कि मुसलमान तो वोट बैंक (#MuslimVoteBank) है, इन लोगों ने सारे चुनाव की ऐसी तैसी कर दी है। अगर ये सुधर जाएं तो भारत के कुछ राजनीतिक दलों का दिमाग ठीक हो जाए। मैंने उनसे पूछा कि आखिर वो मुसलमानों को वोट बैंक क्यों बता रहे हैं और क्यों समझ रहे हैं। उन्होंने कहा, क्योंकि ये लोग हमेशा किसी एक ही राजनीतिक दल को चुनकर वोट करते हैं। पहले कांग्रेस (#Congress) को, फिर समाजवादी पार्टी (#SP)को तो कभी बहुजन समाज पार्टी (#BSP) को। बिहार में आर