अफ़वाहों का शहर

अफ़वाहें आपका टेस्ट होती हैं...कल रात भी टेस्ट हुआ...

देशभर में गणेश मूर्तियों को दूध पिलाया जाना याद है...

क्या यह भी याद है कि वो कौन सा #अफवाहबाज_संगठन था जिसने गणेश मूर्तियों के दूध पीने की बात सुबह सुबह उड़ा दी थी...

21 सितंबर 1995...मैं तब बरेली में था। #दैनिक_जागरण नामक #हिंदूवादी_अखबार में काम करता था। हमारे #संपादक बच्चन सिंह जी और जनरल मैनेजर चंद्रकांत त्रिपाठी जी को यह सब बहुत वाहियात लगा और 11 बजे पूर्वाह्न होने वाली एडिटोरियल मीटिंग में इसकी जाँच पड़ताल का ज़िम्मा मुझे सौंपा गया।

#बरेली में उस समय हरदिल अज़ीज़ और बहुत प्यारे इंसान एडीएम सिटी मंजुल जोशी जी थे। वह मित्र जैसे थे। मैं और मेरे #पत्रकार दोस्त गीतेश जौली (दैनिक आज) उनके पास पहुँचे। उसके बाद हमने उनके साथ बरेली के बड़े मंदिरों का दौरा करने का प्लान बनाया।

रामपुर गार्डन बरेली के मंदिर में गेट पर अभी हम लोगों के क़दम पड़े ही थे कि जोशी जी ने कहा - ज़रा किनारे, पैरों में दूध लभेड़ उठेगा। मैंने कहा - जब #मूर्तियाँ_दूध_पी_रही_हैं तो दूध यहाँ कैसे आ सकता है? यह चावल का पानी वग़ैरह होगा। उन्होंने कहा - मैं मजाक के मूड में नहीं हूँ। यह जाहिलियत के अलावा और कुछ नहीं है। हम लोग अंदर गए। जोशी ने टोंटी वाले गिलास में दूध लिया और मूर्ति को पिलाने लगे और उन्होंने दिखाया कि किस तरह सारा दूध नीचे बहकर जा रहा है।

बाद में पता चला कि यह टेस्ट केस था। बाद उस #मुखबिर_संगठन के लोगों ने ऑफ़ द रेकॉर्ड बताया कि हम अपने समाज की परीक्षा ले रहे थे कि वो हमारे संदेशों को किस रूप में ग्रहण करता है- जैसा हम देते हैं ठीक वैसा या फिर उन्हें नहीं मानता। विशेषकर ऐसे संदेश तो ज्यादा तौले जाते हैं। ऐसे काम सबसे पहले दुकानदार वर्ग के स्वयंसेवकों से पहले कराया जाता है। उनके ज़रिए अफवाहें तेज़ी से फैलती हैं।

आज की #अफ़वाह भी टेस्ट थी। अलग अलग इलाक़ों में अलग अलग समुदाय के हमलावर होने की अफ़वाहें रात को फैलाई गईं।

मदनपुर खादर में कुछ गुंडे बाइक पर शोर मचाते हुए बाइक भगाते हुए आकर बताते हैं कि थोड़ी दूर पर #मुसलमान मार काट मचा रहे हैं। कई लोग मर गए हैं। मकान जला दिए गए हैं। इतना कहकर वो ग़ायब हो जाते हैं।...लोगों में बेचैनी और अफ़रातफ़री मच जाती है। लोग इसे सही मानकर ट्वीट करने लगते हैं। तभी तिलक नगर में फ़ायरिंग हो जाती है। ट्वीट आने लगते हैं।कुछ लोग दोनों घटनाओं को जोड़ देते हैं। ऐसी अफ़वाहें कई जगह फैलाई जाती हैं। #बदरपुर और #फरीदाबाद में दंगा होने के ट्वीट चलने लगते हैं।

#दिल्ली_पुलिस पता नहीं क्यों सात #मेट्रो_स्टेशन_बंद करा देती है। लोग मेट्रो ट्रेन के अंदर से फ़ोन करने लगते हैं। अफवाहें पूरी दिल्ली में फैल जाती हैं। दिल्ली पुलिस से पूछा जाना चाहिए कि आख़िर किस सूचना पर उसने सात मेट्रो स्टेशन बंद कराए। यह जाँच का विषय है कि वो सूचना क्या थी।

बहरहाल, मैं अपने रिश्तेदारों, दोस्तों और पुलिस को फ़ोन करके पूछता हूँ तो बताया जाता है यहाँ ऐसा कुछ भी नहीं है। हमारे कई साथी पत्रकार रात में ही दिल्ली के तमाम इलाक़ों में जाते हैं। मैं ऑफ़िस कैब लेकर जामिया, ओखला, शाहीनबाग, #सरिता_विहार, #जसोला,  बदरपुर और फरीदाबाद के लिए निकलता हूँ। मैं दोनों इलाकों में उन जगहों पर जाता हूँ जहाँ के लिए ट्वीट किए गए थे। ....वहाँ सबकुछ सामान्य मिलता है। कहीं कोई किसी घटना के निशान तक नहीं। पुलिस चौकस मिलती है।

बस एक बात खटकती है कि सड़कों की स्ट्रीट लाइट #हजरत_निज़ामुद्दीन से ही बंद मिलती है। रात में सड़कों पर अंधेरा अच्छा नहीं लगता है।

रविवार रात की अफ़वाहें भयावह थीं। पूरी दिल्ली और #शाहीनबाग के आसपास के इलाक़ों को दंगों में झोंकने की #साज़िश थी। ऐसा आगे भी होगा लेकिन हमें आपको मिलकर इसे नाकाम करना होगा।

#DelhiGenocide2020
#DelhiViolence2020
#DelhiPogrom2020
#DelhiBloodBath2020

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