साम्प्रदायिक वायरस और निज़ामुद्दीन में जमाती



साम्प्रदायिक वायरस (Communal Virus) किसी भी कोरोना वायरस से ज्यादा ख़तरनाक है। कोरोना खत्म हो जाएगा लेकिन साम्प्रदायिक वायरस कभी खत्म नहीं होगा।

सरकारी पार्कों में #नागपुरी_शाखाएँ_बंद हैं लेकिन उनके कीटाणु तमाम मीडिया आउटलेट्स में प्रवेश कर चुके हैं और उनके ज़रिए #साम्प्रदायिकवायरस को फैलाने का काम जारी है।

भेड़िए को अगर इंसान का ख़ून मुँह में लग जाए तो वह रोज़ाना इंसान का शिकार करने निकलता है।

तमाम #टीवी चैनल और कुछ पत्रकारों की हालत इंसानी ख़ून को पसंद करने वाले भेड़िए जैसी हो गई है।



#कोरोना में साम्प्रदायिक नुक़्ता अभी तक नदारद या नजरन्दाज था। लेकिन भेड़ियों के झुंड ने आख़िरकार दिल्ली के हज़रत #निज़ामुद्दीन बस्ती के एक मरकज़ की #तबलीगी_जमात में जाकर तलाश लिया।

हालाँकि #तबलीगीजमात वग़ैरह जैसी चीज़ों के मैं व्यक्तिगत तौर पर बहुत खिलाफ हूँ। जिन लोगों की दुनिया खुदा के #रसूल और उनके #अहलेबैत, #सूफीज्म से आगे नहीं बढ़ती वो कोई भी तबलीग कर लें, ऊँचा पाजामा पहन लें, कम से कम #इस्लाम को तो नहीं फैला रहे। अभी जो घटना हुई उससे लोगों को बचाया जा सकता था।

लेकिन तबलीगी जमात में शामिल हुए 1400-1500 लोगों को मैं इंसान के रूप में देख रहा हूं जिनके कंधे का इस्तेमाल करके नागपुरी #स्वयंसेवक_मीडिया कोरोना इन्फेक्शन को #हिंदू_मुसलमान बना रहा है।

#मीडिया कह रहा है निज़ामुद्दीन के मरकज़ में छिपे जमात के लोगों ने कोरोना फैलाया। यही मीडिया यह भी कह रहा है माता वैष्णो देवी में फँसे #बिहार के 400 तीर्थयात्रियों को होटल से नहीं निकालने का आदेश अदालत ने दिया है। ...अब आपको यहाँ छिपे और फँसे होने जैसे शब्दों से किसी समुदाय को बदनाम करने का पता चला या नहीं। इनमें सबसे ज्यादा #हिंदी_मीडिया के बदमाश स्वयंसेवी #पत्रकार हैं जो शब्दों के ज़रिए साज़िश रचते हैं। यही लोग निज़ामुद्दीन की घटना के नाम पर साज़िश रचते हैं। जबकि दोनों ही घटनाओं से पता चलता है कि #लॉकडाउन होने की वजह से जमात वाले और #वैष्णोदेवी में बिहार के चार सौ लोग फँसे हुए हैं। ट्रांसपोर्ट उपलब्ध न होने पर ये लोग कहीं जा नहीं सकते।

अभी चार दिन से लगातार #दिल्ली #उत्तरप्रदेश बॉर्डर पर लोगों के पलायन के हालात हम लोग देख रहे हैं। सरकार ने आज खुद कहा है कि यहाँ से गए हर दस लोगों में से हर तीन लोगों को कोरोना हो सकता है। अगर दिल्ली से एक लाख लोग पलायन करके गए हैं तो तीस हज़ार लोग कोरोना लेकर गए हैं। अब सोचिए कि ये तीस हज़ार कितने लोगों में कोरोना फैलाएँगे लेकिन #नागपुरी_मीडिया को सिर्फ निज़ामुद्दीन में कोरोना फैलाने वाले नज़र आ रहे हैं।

यह समय ऐसा है जब मीडिया को सरकार से आने वाले दिनों की तैयारी पर सवाल पूछने चाहिए लेकिन वह जमातियों पर नज़र रख रहा है। जमात के लोगों ने बार बार #दिल्लीपुलिस को पत्र लिखे सूचना दी, ट्रांसपोर्ट माँगा लेकिन पुलिस ख़ामोश रही। मीडिया पुलिस से यह सवाल नहीं पूछ रहा है कि वह ख़ामोश क्यों रही जब उसे पत्र लिखे गए ? आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान Amanatullah Khan ने इलाक़े के डीसीपी और एनसीपी को निज़ामुद्दीन बस्ती में लोगों के फँसे होने की सूचना दी थी। लेकिन मीडिया यह बात नहीं बताएगा। ये मीडिया उस मफलरमैन Arvind Kejriwal से सवाल नहीं पूछ रहा कि तुम्हारे मोहल्ला क्लीनिक कहाँ गए?

शहर छोड़कर गए लोगों के लिए वापसी का कोई प्लान सरकार के पास नहीं है। जहाँ वे गए हैं वहाँ के लिए भी कोई प्लान नहीं है। उन्हें #योगी और #नीतीश के भरोसे छोड़ दिया गया है। जो घमंडी हैं और अफ़सरों को दुत्कार और फटकार लगाकर अपनी नाकामियां छिपा रहे हैं। #केंद्र_सरकार अफ़सरों को सस्पेंड कर उसकी हाँ में हाँ ना मिलाने वाले अफ़सरों को सजा दे रही है। कोरोना की आड़ में #अराजकता_फैला_रही_सरकार से कोई सवाल नहीं।

ऐसे में #साम्प्रदायिक_वायरस को मारना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है।

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