साम्प्रदायिक आतंकवाद को कैसे हराएं

एक बेटी का निकाह तय था इस महीने। #दिल्ली_के_रक्तपात में आतंकवादियों ने उनका घर लूट लिया और जला दिया। सारे ज़ेवरात और दूसरे सामान #आतंकवादी उठा ले गए। उन्हें घर छोड़ कर भागना पड़ा। बहन की बारात ग़ाज़ियाबाद से आनी थी। जहाँ शादी तय थी, उन लोगों ने निकाह से मना कर दिया।

अभी वो बेटी #मुस्तफाबाद के अल हिंद हॉस्पिटल में रह रही है। उनके अब्बा को अपना घर लुटने और सब कुछ तबाह होने का उतना ग़म नहीं है जितना अपनी बेटी का #निकाह न होने का ग़म था।

आख़िरकार रिश्तेदारी में ही एक होनहार नौजवान कल सामने आया। उसने उस बेटी का हाथ माँग लिया। दोनों का निकाह भी कल हो गया।

आप सभी लोग उस बेटी और उसके शौहर के लिए #दुआ कर सकते हैं। #अल्लाह उन दोनों को हमशा सलामत रखे, हमेशा खुश रखे।

मरहूम सरदार गुरबचन सिंह, मरहूम शायर ख़ामोश सरहदी साहब और अभी भी ज़िंदा बुज़ुर्ग पत्रकार जनाब अमरनाथ बाग़ी साहब #भारत_पाकिस्तान_बँटवारे (1947) के समय की ऐसी सच्ची कहानियाँ मुझे सुनाया करते थे। #पाकिस्तान छोड़कर #फ़रीदाबाद चले आए उन दोनों हस्तियों के बँटवारे का दर्द उनकी बातों में उभरता था।

वो बताते थे कैसे पंडित जवाहर लाल #नेहरू ने फ़रीदाबाद में उजड़े लोगों को बसाया था। पाकिस्तान से उजड़कर आए लोगों में तब इस तरह की शादी होना आम बात थी। लड़कियाँ एक साड़ी पहन कर विदा की गईं। लोग एक दूसरे की मदद से आगे बढ़ते रहे। पंजाबियों में ये जज्बात आज भी क़ायम है।

तो तलाशिए...ऐसे लोग...जिन्हें आपकी मदद की ज़रूरत है। #कोरोना के चक्कर में मत रहिए। बस गर्म पानी पीते रहें। दुआएँ पढ़ते रहें। अभी हम लोगों का लक्ष्य उन हज़ारों लोगों का रिहैबलिटेशन (#पुनर्वास) है। बिना सबकी मदद से नहीं होगा। एक दूसरे की मदद से बड़े से बड़े दर्द का मुक़ाबला किया जा सकता है। अपने अंदर #सामुदायिक_सेवा (#Community_Service) की भावना जगाइए। नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में आतंकियों के हाथों बर्बाद हुए लोगों को आपकी मदद की ज़रूरत है। मुस्तफाबाद, जाफराबाद, चांदबाग, कर्दमपुरी, शिव विहार की वीरान गलियाँ मदद को पुकार रही हैं। #साम्प्रदायिक_आतंकवाद (#Communal_Terrorism) को एक दूसरे की #मदद से हराया जा सकता है।
-यूसुफ़ किरमानी

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