कंधे पर लोकतंत्र...सरकार की नीयत और नीति

#लॉकडाउन पर मोदी सरकार की नीति और नीयत पर कुछ खुलासा...

#प्रधानमंत्री ने 26 मार्च को देश के सभी प्राइवेट #एफएम_रेडियो के जॉकी (आरजे) से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग करने की इच्छा जताई। प्रसार भारती ने सभी मीडिया हाउसों को संदेश भेजा। 27 मार्च यानी शुक्रवार सुबह प्रधानमंत्री मोदी की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग शुरू हुई। करीब 45-46 रेडियो स्टेशनों के #आरजे, सीईओ और मालिक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में शामिल हो गए।

#मोदी ने इन सभी को अपना भाषण पिलाया और उनके कर्तव्य बताए कि इस समय मॉस मीडिया (एफएम रेडियो) की क्या जिम्मेदारी है और उन्हें लॉकडाउन के समय सरकार के साथ चलना चाहिए।

#पीएमओ में प्रधानमंत्री के सामने जो वीडियो स्क्रीन थी, उसमें सिर्फ 5 लोगों को #पीएम के सामने आने और सवाल पूछने की छूट मिली हुई थी, बाकी सारे लोग अपनी-अपनी लोकेशन पर तमाशबीन थे।

जानते हैं इन पांच लोगों में जिन्हें स्क्रीन पर आने की अनुमति थी, उनमें वही #मोदी_भक्त _रजे शामिल थे। इनमें भी सबसे प्रमुख नाम #रेड_एफएम का #आरजे_रौनक था। इसके अलावा #रेडियो पर काफी चीख पुकार मचाने वाला आरजे भी था। आरजे रौनक में लाख टैलंट हैं, वो #बउआ बनकर आपका खूब मनोरंजन कर सकता है लेकिन निजी तौर पर वह #मोदी_भक्त है।

मोदी भक्त एक एफएम रेडियो की महिला सीईओ ने मोदी से सवाल किया कि अभी बहुत सारे मजदूर पैदल चलकर जा रहे हैं। उनके लिए सरकार को ठीक से इंतजाम करना चाहिए। यानी एक तरह से उस सीईओ ने मोदी जी को लॉकडाउन पर आईना दिखाने की कोशिश की।

फिर क्या था, मोदी जी थोड़ा असहज हो गए। लेकिन उन्होंने सहज होते हुए उस महिला सीईओ से कहा कि - अरे मैडम, आप तो इंटरव्यू करने लगे।...मजदूर हैं। अपने घरों को जा रहे हैं। सब एक-दो दिन में ठीक हो जाएगा।.. लोग उन्हें खिला-पिला देंगे। वह महिला सीईओ और बाकी आरजे सब समझ गए और इसके बाद किसी ने कोई सवाल नहीं पूछा

प्रधानमंत्री की इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की रिपोर्टिंग किसी मीडिया में नहीं हुई। लेकिन मैंने इसलिए इसे सार्वजनिक किया ताकि देश यह समझे कि मोदी जी ने बिना किसी राज्य से चर्चा किए बिना जो लॉकडाउन घोषित किया और #मजदूर_दरबदर हुए, उन्हें लेकर सरकार की नीयत क्या है और वह किस नीति के तहत काम कर रही है।


 
 
इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पहले मोदी ने देश के सभी बड़े मीडिया हाउसों के संपादकों, मालिकों और टीवी एंकरों से इसी तरह बात की थी। उस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में तो किसी ने बोलने तक की हिम्मत नहीं जुटाई। मोदी ने उसमें भी साफ-साफ सभी को सरकार का साथ देने के लिए कहा। इस कॉन्फ्रेंस का #मीडिया के दो बड़े न्यूज मैनेजरों अर्णब गोस्वामी (रिपब्लिक टीवी) और रजत शर्मा (इंडिया टीवी) पर इतना असर हुआ कि अर्णब गोस्वामी ने लौटकर अपने टीवी स्टाफ को पत्र भेजकर खूब खरी खोटी सुनाई। रजत शर्मा ने पुलिस वालों की चमचागीरी करते हुए अपना वीडियो संदेश जारी कर दिया। लेकिन अर्णब ने जो किया वह पत्रकारिता के मानवीय मूल्यों के खिलाफ है।

अर्णब गोस्वामी ने अपने स्टाफ को लिखा कि यह समय बाकी #टीवी चैनलों की तरह घर में बैठकर काम करने का नहीं है। आप लोग सड़कों पर उतरिए। सरकार की मदद करिए। #कोरोना से आप लोग क्यों डर रहे हैं। हमें लोगों को सावधान करना है। जिसको गाड़ी चाहिए, खाना चाहिए, मैं सब दूंगा लेकिन आप लोग सड़कों पर आकर काम कीजिए। जो ऐसा नहीं कर सकता या जो मेरी इस बात से सहमत नहीं है, वो चैनल छोड़कर बेशक जा सकता है। आप लोग शिफ्टों में काम कीजिए। डेस्क का हर साथी रिपोर्टर बन जाए। यही मौका है कुछ कर दिखाने का। सारे चैनल बंद हो जाएंगे लेकिन रिपब्लिक चलता रहेगा।

कोई चैनल का मालिक या पार्टनर अपने स्टाफ को डांट-फटकार सकता है लेकिन किसी को यह अधिकार नहीं है कि वह अपने कर्मचारियों से अपनी जान जोखिम में डालने को कहे। लेकिन मोदी भक्त अर्णब ने सारी मानवता ताक पर उठाकर रख दी है।

यह दोनों घटनाएं बताती हैं कि सरकार सिर्फ और सिर्फ #इवेंट के जरिए चलाई जा रही है। कोई खुशी हो या गम मोदी सरकार उसे इवेंट में बदल देती है।
 
अब आज मोदी दी के मन की बात को ही लीजिए। उन्होंने लॉकडाउन में हो रही परेशानी के लिए खेद प्रकट लिया। इसके बाद वो शुरु हो गए अपने प्रचार अभियान में। उन्होंने बुजुर्ग से बात की, आम आदमी से बात की और डॉक्टर से बात की।...सभी को #मोदी_जी_में_भगवान_दिखे। सभी ने तारीफ की। ...सोचने की जरूरत है, यह सब इस कार्यक्रम में पेश करने से पहले तैयार किया जाता है। अगर कोई गलत बोलेगा तो टीम मोदी उसे संपादित करते हटा देगी। लेकिन जनता को क्या मालूम लेकिन वो सुनकर बोर जरूर होती है। ....मोदी जी जनता के सामने लाइव होते और लोगों के सवालों को लेते तो शायद उन्हें लोग हमेशा याद रखते। लेकिन आपने इसे प्रायोजित इवेंट बना दिया है। न लोग आपको कभी सच्चाई बता सकेंगे और न मोदी जी के अफसर कभी पीएम को सच्चाई बताने की जरूरत समझेंगे।

बात वहीं आकर खत्म होती है कि इस #सरकार_की_नीयत_और_नीति दोनों ही #जनविरोधी है। आप आत्म प्रचार के अलावा कुछ नहीं कर रहे। आप लॉकडाउन करके अपने भक्तों से #ताली_और_थाली तो बजवा सकते हैं लेकिन जनता के दर्द को महसूस नहीं कर सकते। बेशक, आप कुछ भी कहते रहें।

जिस सरकार पिछले चार दिनों से सड़कों पर चलते मजदूर और भूख से #दम_तोड़ते_मजदूर न दिख रहे हों। जिस सरकार के मंत्री और अफसर घर में बैठकर टीवी पर #रामायण देख रहे हों और सेल्फी सोशल मीडिया पर डाल रहे हों, आप सरकार की नीति और नीयत का अंदाजा लगा सकते हैं।




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